ज्ञान के मोती
जब आप दूसरों की सहायता या उनकी देखरेख विवेक और ज्ञान के साथ करते है, तो आप उनके लिए गुरु की भूमिका निभा रहे हैं
Posted: 30 Apr 2011 09:50 PM PDT
मॉन्ट्रियल केंद्र कनाडा, २१ अप्रैल २०११.
( पिछले लेख का शेष भाग)
प्रश्न: आपको कैसे मालूम हुआ कि आप गुरु है?क्या आपके भी कोई गुरु थे? कभी कभी मैं विचार करता हूँ कि क्या मैं अपना स्वयं का गुरु हूँ | इस संदर्भ मे आप क्या कहेंगे?
श्री श्री रवि शंकर: आप अपने आप के लिए सर्जन (चिकित्सक) नहीं हो सकते | आप सर्जन (चिकित्सक)हो सकते है परन्तु आप अपने आप के लिए सर्जन (चिकित्सक) नहीं हो सकते, ठीक है ? आपकी माँ आपकी पहली गुरु होती है|आपकी माँ आपको शिक्षा देती है| गुरु वह है जिसका आपके प्रति रुख और दृष्टिकोण बिना किसी शर्त के होता है| आपको गुरु की भूमिका बिना किसी शर्त के निभानी होती है |“जब आप दूसरों की सहायता या उनकी देखरेख विवेक और ज्ञान के साथ करते है, तो आप उनके लिए गुरु की भूमिका निभा रहे हैं”|
जब आप किसी की सहायता इस मनोभाव के साथ करते है कि “ मुझे कुछ नहीं चाहिये, मुझे सिर्फ आपकी प्रगति चाहिये” तो फिर आप उनके लिये गुरु है | और आपको उनसे आपको गुरु मानने के लिये भी मांग नहीं करनी होगी | और एक आदर्श गुरु कोई भी मांग नहीं करता,यहां तक किसी व्यक्ति से कृतज्ञता की भी उम्मीद नहीं रखता |
प्रश्न : मैने सुना है कि आर्ट ऑफ लिविंग भारत मे भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहा है?उत्तर अमरीका मे हम समाज से भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये क्या कर सकता है ?
श्री श्री रवि शंकर: इस स्थिति से निपटने के लिये आपको विचार करना चाहिये | भ्रष्टाचार तीन स्तर पर होता है| पहला लोगो के मध्य मे | लोग भ्रष्टाचार को अक्सर जीवन जीने की शैली के रूप मे स्वीकार कर लेते है| दूसरा और तीसरा स्तर है, नौकरशाही और राजनीतिज्ञ | जीवन के हर वर्ग मे अच्छे लोग होते है | और ऐसे लोग भी है जो इतने अच्छे नहीं है| आपको उन्हें आर्ट ऑफ लिविंग कोर्से मे लाकर श्वास तकनीके सिखाना चाहिये | फिर वे भी अच्छे हो जायेंगे |
प्रश्न: प्रिय गुरूजी, क्या आप वर्ष २०१२ मे क्या होने वाला है, उसे और विस्तृत से बतायेंगे ?
श्री श्री रवि शंकर: हमेशा की तरह व्यापार | सिर्फ लोग और अधिक आध्यात्मिक हो जायेंगे |
प्रश्न: हम अपनी आध्यात्मिक प्रगति मे शीघ्रता लाने के लिये इस समय का उपयोग कैसे कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर: बिलकुल वैसे ही जैसे आप अभी कर रहे है|
प्रश्न: विश्व मे कई युद्ध और क्षेत्रीय हिंसा हो रही है | विश्व मे हिंसा कम करने के लिये हम क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर : तनाव और क्रोध हिंसा होने का मूल कारण है| और मेरे मत मे ध्यान, प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया तनाव और क्रोध को कम करने का उपाय है | इसका यही उपाय है |
आप कुछ आयुर्वेद सहायता ले सकते है, अपने आहार को परिवर्तित कर सकते है, आप यह कर सकते है, परन्तु यह सब इतना महत्वपूर्ण नहीं है |
प्रश्न:गुरूजी कोर्से मे गायन इतना महत्वपूर्ण क्यों है? गायन का आध्यात्मिक महत्त्व क्या है?
श्री श्री रवि शंकर: ज्ञान, तर्क, और संगीत आपके मस्तिष्क के दो अलग भाग मे उत्पन्न होते है इसलिए दोनों आवश्यक है| इससे तंत्र मे संतुलन आता है | संगीत आवश्यक है |
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