Saturday 4 June 2011

ज्ञान के मोती

ज्ञान के मोती


जब आप दूसरों की सहायता या उनकी देखरेख विवेक और ज्ञान के साथ करते है, तो आप उनके लिए गुरु की भूमिका निभा रहे हैं

Posted: 30 Apr 2011 09:50 PM PDT
मॉन्ट्रियल केंद्र कनाडा, २१ अप्रैल २०११.
( पिछले लेख का शेष भाग)

प्रश्न: आपको कैसे मालूम हुआ कि आप गुरु है?क्या आपके भी कोई गुरु थे? कभी कभी मैं विचार करता हूँ कि क्या मैं अपना स्वयं का गुरु हूँ | इस संदर्भ मे आप क्या कहेंगे?
श्री श्री रवि शंकर: आप अपने आप के लिए सर्जन (चिकित्सक) नहीं हो सकते | आप सर्जन (चिकित्सक)हो सकते है परन्तु आप अपने आप के लिए सर्जन (चिकित्सक) नहीं हो सकते, ठीक है ? आपकी माँ आपकी पहली गुरु होती है|आपकी माँ आपको शिक्षा देती है| गुरु वह है जिसका आपके प्रति रुख और दृष्टिकोण बिना किसी शर्त के होता है| आपको गुरु की भूमिका बिना किसी शर्त के निभानी होती है |“जब आप दूसरों की सहायता या उनकी देखरेख विवेक और ज्ञान के साथ करते है, तो आप उनके लिए गुरु की भूमिका निभा रहे हैं”|
जब आप किसी की सहायता इस मनोभाव के साथ करते है कि “ मुझे कुछ नहीं चाहिये, मुझे सिर्फ आपकी प्रगति चाहिये” तो फिर आप उनके लिये गुरु है | और आपको उनसे आपको गुरु मानने के लिये भी मांग नहीं करनी होगी | और एक आदर्श गुरु कोई भी मांग नहीं करता,यहां तक किसी व्यक्ति से कृतज्ञता की भी उम्मीद नहीं रखता |

प्रश्न : मैने सुना है कि आर्ट ऑफ लिविंग भारत मे भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहा है?उत्तर अमरीका मे हम समाज से भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये क्या कर सकता है ?
श्री श्री रवि शंकर: इस स्थिति से निपटने के लिये आपको विचार करना चाहिये | भ्रष्टाचार तीन स्तर पर होता है| पहला लोगो के मध्य मे | लोग भ्रष्टाचार को अक्सर जीवन जीने की शैली के रूप मे स्वीकार कर लेते है| दूसरा और तीसरा स्तर है, नौकरशाही और राजनीतिज्ञ | जीवन के हर वर्ग मे अच्छे लोग होते है | और ऐसे लोग भी है जो इतने अच्छे नहीं है| आपको उन्हें आर्ट ऑफ लिविंग कोर्से मे लाकर श्वास तकनीके सिखाना चाहिये | फिर वे भी अच्छे हो जायेंगे |

प्रश्न: प्रिय गुरूजी, क्या आप वर्ष २०१२ मे क्या होने वाला है, उसे और विस्तृत से बतायेंगे ?
श्री श्री रवि शंकर: हमेशा की तरह व्यापार | सिर्फ लोग और अधिक आध्यात्मिक हो जायेंगे |

प्रश्न: हम अपनी आध्यात्मिक प्रगति मे शीघ्रता लाने के लिये इस समय का उपयोग कैसे कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर: बिलकुल वैसे ही जैसे आप अभी कर रहे है|

प्रश्न: विश्व मे कई युद्ध और क्षेत्रीय हिंसा हो रही है | विश्व मे हिंसा कम करने के लिये हम क्या कर सकते है?
श्री श्री रवि शंकर : तनाव और क्रोध हिंसा होने का मूल कारण है| और मेरे मत मे ध्यान, प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया तनाव और क्रोध को कम करने का उपाय है | इसका यही उपाय है |
आप कुछ आयुर्वेद सहायता ले सकते है, अपने आहार को परिवर्तित कर सकते है, आप यह कर सकते है, परन्तु यह सब इतना महत्वपूर्ण नहीं है |

प्रश्न:गुरूजी कोर्से मे गायन इतना महत्वपूर्ण क्यों है? गायन का आध्यात्मिक महत्त्व क्या है?
श्री श्री रवि शंकर: ज्ञान, तर्क, और संगीत आपके मस्तिष्क के दो अलग भाग मे उत्पन्न होते है इसलिए दोनों आवश्यक है| इससे तंत्र मे संतुलन आता है | संगीत आवश्यक है |

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