Wednesday, 6 January 2010

GURUJI'S MESSAGE FOR NEW YEAR 2010

नव वर्ष पर आंतरिक शांति और समृद्धि के पाने के सात उपाय
परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी के द्वारा

नव वर्ष पर सभी के होठों पर सुख, शांति और समृद्धि की बधाई रहती है परन्तु क्या हम वास्तव में शांति का मतलब जानते हैं? शांति हमारे अंदर ही होती है और हम यह जानते भी है। पुराने वर्ष को पार करके अब हम नव वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, तो चलिये हम सब यह संकल्प ले कि इस आंतरिक शांति के प्रति हम सजग हो जायेंगे और हमारी मुस्कुराहट हमारे भीतर की समृद्धि का प्रमाण देगी। इसके लिये सात उपाय हैं।

1. दिव्य शक्ति को मौका दें, कृतज्ञ रहें - इस वर्ष अपनी भक्ति को पूरी तरह खिलने दें और उसे काम करने का मौका दें। हमारे अन्दर प्रेम, श्रद्धा और आस्था की जड़ें मज़बूत होनी चाहिए फिर सब कुछ अपने आप होने लगता है। आपके अन्दर “मैं धन्य हूँ” की भावना किसी भी असफलता से आपको उबारने में सहायक होगी। जब आपको यह एहसास होता है कि आप धन्य है तो सारी शिकायतें और बड़बड़ाहट गायब हो जाती है, सारी असुरक्षा गायब हो जाती है और आप कृतज्ञ, संतुष्ट और शांत हो जाते हैं।

2. स्वयं के लिये समय निकालें - आप सूचनाओ को इकठ्ठा करने में लगे रहते है और अपने लिये सोचने और विचार करने के लिये समय नहीं निकाल पाते हैं। इसलिये आप सुस्त और थका हुआ महसूस करते हैं। शांति के कुछ पल सृजनात्मकता के स्त्रोत होते हैं। मौन हमें स्वस्थ रखता है और हमें पुन: ऊर्जित करता है और आपको गहनता और स्थिरता प्रदान करता है। रोज़ कुछ मिनटों के लिये किसी भी समय अपने साथ बैठ जाओ और आँख बन्द करके अपने दिल के गुफा में घुस जाओ। सारे संसार को गेंद के जैसे लात मार दे। स्वयं के लिये थोड़ा समय निकालने से आपके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

3. समझें कि जीवन अस्थायी है - देखें कि यह जीवन कितना अस्थायी है। लाखों वर्ष बीत गये और लाखों वर्ष आयेगें और बीत जायेंगे। कुछ भी स्थायी नहीं है। आपका जीवन क्या है ? यह इस महासागर में एक बूंद जितना भी नहीं हैं। बस अपनी आँख खोलें और पूछें कि “मैं कौन हूँ? मै इस ग्रह पर क्यों आया हूँ? मैं यहाँ पर कितना समय और रहूँगा? तत्पश्चात सजगता की किरण उदय होगी और आप छोटी बातों की चिंता करना छोड़ देंगे। सारा छोटापन सरलता से छूट जायेगा और आप अपने जीवन का प्रत्येक क्षण को जी सकेंगे। यदि आप इस संदर्भ से अपने जीवन की समीक्षा करेंगे तो आप के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

4. कोई भी सेवा के काम करें – यह संकल्प लें कि इस विश्व को बेहतर स्थान बनायेंगे। निष्काम सेवा करें – ऐसी सेवा जिसके बदले में कुछ मिलने की अपेक्षा न हो । सेवा से ही जीवन में तृप्ति आती है। यह अपनेपन की भावना लाती है। जब आप नि:स्वार्थ सेवा के द्वारा किसी को राहत पहुँचाते हैं तो उसके आशीर्वाद के अच्छी तरंगें आप तक पहुँचतीं हैं। जब आप दयालु बनते हैं तो प्रेम और शांति जो आपका सच्चा स्वभाव है वह उजागर हो जाता है।

5. अपनी मुस्कुराहट को सस्ता बनायें - हर दिन हर सुबह आप दर्पण को देखें और स्वयं को अच्छी मुस्कुराहट दें। आपकी मुस्कुराहट कोई भी छीन न सके। सामान्यत: आप अपने क्रोध को मुफ्त मंा बाँटते हैं और कभी-कभी ही मुस्कुराहट देते हैं जैसे कि वह कोई बहुत महंगी चीज़ हो। अपनी मुस्कुराहट को सस्ता बनायें और क्रोध को महंगा करें! जब आप मुसकुराते हैं तो आपके चेहरे की सारी मांसपेशियों को विश्राम मिलता है। आपके मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को विश्राम मिलता है और आप भीतर से शांति महसूस करते हैं। यह आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिये आत्मविश्वास, साहस और ऊर्जा प्रदान करती है।

6. ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बना लें - जब हमारे जीवन में ऊंचे लक्ष्य होते हैं तो उससे तनाव और बेचैनी होती है, जो सिर्फ कुछ मिनटों के ध्यान और आत्म निरीक्षण से निकल सकती है। ध्यान आपको गहरा विश्राम देता है। जितना गहरा विश्राम होगा, उतना ही आपका कार्य प्रभावी होगा। ध्यान क्या है ?

• व्याकुलता रहित मन, ध्यान है।
• मन का वर्तमान क्षण में होना ध्यान है।
• ऐसा मन जिसमें कोई झिझक, कोई प्रत्याशा नहीं है वह ध्यान है।
• मन जो घर लौट कर अपने स्रोत तक पहुँच गया है जो कि शांति और आनंदित है वह ध्यान है।

7. हमेशा विद्यार्थी बने रहें - आप यह समझ लें कि आप हर समय विद्यार्थी हैं। कभी भी किसी को कम नहीं समझना चाहिए। ज्ञान किसी भी कोने से मिल सकता है। हर अवसर आपको सिखाता है और हर व्यक्ति आपको सिखाता है। यह विश्व आपका शिक्षक है। जब आप हर समय सीखना चाहते हैं तो आप दूसरों को कम समझना बंद कर देते हैं। फिर आपके जीवन में विनम्रता उदय होती है।


आप सब को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनायें। इस नव वर्ष में आपको सुख और शांति प्रदान हो।

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