Thursday, 19 August 2010

"प्रेम की मांग करने से प्रेम मर जाता है"

ज्ञान के मोती





१४ अगस्त, २०१०, पेनांग, मलेशिया

प्रश्न : मैं इस साल की शुरुवात से ही आर्ट आफ़ लिविंग के साथ जुड़ी हूं, और मेरे स्वास्थ्य में इससे बहुत सुधार आया है। मैं इन प्रक्रियाओं को करने के बाद बहुत अच्छा महसूस करती हूं। मुझे पांच साल पहले ब्रेस्ट कैंसर हुआ था, पर मैंने पूरी तरह से अपना इलाज कर लिया है।

श्री श्री रवि शंकर
: तुम्हें पता है कि शोध ये मालूम हुआ है कि हमारे शरीर में ३०० जीन्ज़ हैं जो कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह इत्यादि के लिये ज़िम्मेदार होते हैं। जब हम सुदर्शन क्रिया और प्राणायाम करते हैं तो इन जीन्ज़ को बीमारियों पैदा करने से रोका जाता है। वैज्ञानिक लोग शोध से इस निष्कर्ष पर आये हैं। यहां आने से पहले मैंने एक लेख देखा जिसे किसी ने मुझे भेजा था – न्यू यार्क के एक अस्पताल में ॐ का उच्चारण करने की सलाह दी जाती है। हृदय रोग के इलाज से पहले वे आपसे ॐ का उच्चारण करवाते हैं, ध्यान और विश्राम करवाते हैं।


प्रश्न : ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत ही गंभीर समस्या हो गई है। सभी जगह प्राकृतिक आपदायें हो रही हैं। इस ग्रह के निवासी होने के कारण हमें क्या करना चाहिये? लोगों को त्रासदियों से परेशान देखकर मुझे दुख होता है। मैं क्या योगदान कर सकता हूं?

श्री श्री रवि शंकर :
हमें जागरूकता बढ़ानी है। आर्ट आफ़ लिविंग के साथ जुड़ जाओ। हम हर रोज़ कहीं ना कहीं पेड़ लगाते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम के लिये और अधिक लोगों को शाकाहारी बनने की आवश्यकता है। कहते हैं कि अगर विश्व की १०% जनसंख्या भी शाकाहारी हो जाये तो ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पूरी तरह हल हो जायेगी। जानवरों के कत्लख़ानों से उपजी मीथेन गैस ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में एक अहम्‍ भूमिका निभाती है। एक पाउंड मांस के उत्पादन में जितना धन आउर ऊर्जा खर्च होती है, उतने में तो ४०० लोगों को शाकाहारी भोजन खिलाया जा सकता है! तो, अधिक लोगों को शाकाहारी बन जाना चाहिये, इससे पर्यावरण में सुधार आयेगा।

प्रश्न : रिश्तों को स्वस्थ रखने का क्या उपाय है?

श्री श्री रवि शंकर :
मुझे इस क्षेत्र का अनुभव नहीं है! (हंसी) फिर भी मैं कुछ सलाह दे सकता हूं।

पहली सलाह है महिलाओं के लिये – कभी भी अपने आदमी के अहं को ठेस मत पहुंचाना। हमेशा उसका उत्साह बढ़ाओ, अहं को सहारा दो। चाहे पूरी दुनिया उसे नाकारा कहे, तुम ऐसा मत कहना! तुम उससे कहना कि उसके पास विश्व का श्रेष्ठतम दिमाग है – वो उसका प्रयोग नहीं करता है इसका मतलब ये नहीं है कि उसके पास वो दिमाग नहीं है! तुम्हें हमेशा कहना चाहिये कि वो सर्वश्रेष्ठ आदमी है। हमेशा उसके अहं का पोषण करो। अगर तुम उसे नाकारा कहोगी तो वो सचमुच ऐसा ही हो जायेगा।

अब एक सलाह है पुरुषों के लिये – कभी भी स्त्री की भावनाओं को ठेस मत पंहुचाना। हां, वो कभी कभी अपने घरवालोंके बार में शिकायत कर सकती है, अपने भाई के बारे में, अपने पिता या मां के बारे में, पर तुम कभी उसकी बात से सहमति मत जताना। अगर तुमने उसकी बात से सहमति जताई तो वह पलट कर तुम्हें ही बुरा भला कहेगी। कभी भी उसके परिवार की बेइज़्ज़ती मत करना। उसे कभी भी ख़रीददारी करने से या किसी आध्यात्मिक कार्यक्रम में जाने से मत रोकना। अगर वो ख़रीददारी करने जाना चाहे तो उसे अपना क्रेडिट कार्ड दे देना।

अब एक सलाह, दोनों के लिये – कभी भी एक दूसरे से प्रेम का प्रमाण मत मांगना। ये मत पूछना, ‘क्या तुम मुझे सचमुच प्रेम करते हो? तुम मुझे पहले जैसा प्रेम नहीं करते।’ अपने प्रेम को प्रमाणित करना बहुत बोझिल कार्य है। अगर कोई तुम से कहे कि अपने प्रेम को प्रमाणित करो तो तुम कहोगे, ‘हे भगवान! मैं इस व्यक्ति को कैसे बताऊं?’ हर काम कुछ ख़ास अदाज़ में और मुस्कुराते हुये करो।

No comments:

Post a Comment